जहाँ पग पर लगता शिक्षा का डेरा
वह सेना शिक्षा कोर है मेरा
तक्षशिला नालंदा का क्षेत्र यहाँ पर आया है
शिक्षा की स्वर्णिम गंगा में सबको खूब नहाया है
अल्बर्ट, टैगोर,विवेकानंद की मूर्ति कुछ बोलती है
ख़ामोशी में भी अर्थ अपना खोलती है
इन सबों के अधरों से निकलती बार बार यही संगीत
जहाँ पग पग पर लगता शिक्षा का डेरा
वह सेना शिक्षा कोर है मेरा
सत्य अहिंसा और प्रेम का यहाँ होता दो सपनो में पाठ
दिखाई जाती स्लाइडें और पढ़ाया जाता चार्ट
जयंती, तिथवाल, कोहीमऔर चुशूल हैं चमन के फूल
मूर्ख भी सुपथ चलते है यही है शिक्षा का मूल
अज्ञानी केओठोंसे निकलती बार बार यही संगीत
जहाँ पग पग पर लगता शिक्षा का डेरा
वह सेना शिक्षा कोर है मेरा
भारती भी करती है इस कोर का यश गान
टैगोर के गीतों का होता नित गान
पथिकों के सम्मान का रखा जाता नित ध्यान
प्रतीत ऐसा होता है सबके होंठों पर सरस्वती विराजमान
मैप रीडिंग विभाग विभागों का विभाग है
जो करते इसमें कोर्स उनका बड़ा सौभाग्य है
सब के होठों से निकलती बार बार यही संगीत
जहाँ पग पग पर लगता शिक्षा का डेरा
वह सेना शिक्षा कोर है मेरा
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