सत्य तथ्य (मौत)


तुम आते हो कई रूपों में,
कोई तुम्हें जनता नहीं।
करके चले जाते हो बर्बाद ,
कोई तुम्हें पहचानतानहीं।
जानता सबकोई तुहें ,
आओगे बारी बारी से सबके घर।
क्यों हो मदमस्त सोये ,
इस दुनिया में होकर बेखबर।
 डर जाता सबकोई तुमसे ,
अपने समीप आता जानकर।
एक न चलेगा समीप तुम्हारे ,
खामोश बैठ जाता ऐसा मानकर।
अपने सम्बल से कोई ,
बढ़  ले कितना भी आगे।
अंतरिक्ष यान पर चढ़कर कोई ,
मंगल ग्रह पर क्यों न भागे।
तुम तो एक सत्य तथ्य हो ,
सब जीवों का अंतिम लक्ष्य हो।
तुम में जाकर सबको मिलना होगा
तुम सर्वोपरि हो यही सबको कहना होगा। .

Reactions

Post a Comment

0 Comments