यहाँ होती है रोज चुनाव ,
देखो खड़े भले मानस जनाब।
जनता पर देने आते दबाब ,
वादे करते हैं लाजबाब।
एक बार तुम हमें जीता दो ,
म ल ए से एम पी बना दो।
करूँगा तुम सब का जन कल्याण ,
जिसे मानोगे भगवान का वरदान।
जीत जायेंगें अगर जैसे तैसे ,
बात करेंगे अपरिचित जैसे।
प्रजातंत्र मूर्खों का शासन ,
हड़प लेता जनता का राशन।
जनता की आँखों पर छायी ,
अज्ञानता की पट्टी।
बार बार देते ,
इन मूर्खों को गद्दी।
इसके लिए दोषी है जनता ,
बार बार मूर्खों को चुनता।
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