वीत गया वहुमूल्य समय धुप अगरवत्ती जलाने में
लगेहुए हैं ये कुकर्मी एकता-अखंडता मिटने में
लाखों जुलमें सहते आये पंचशील निभाने में
शांति शांति कहते आये सधुवादिता में
सदियों से मेरे घर पर लगता रहा कुकर्मियों का ताँता
इतिहास छुपाये बैठी है इन दुष्ट जनों का गाथा
अगर पहनते हो साधु का जमा
तो छीन जाएगी झोली
अगर चलते हो रामायण पर तो
हर ली जाएगी सीता
चलो उसी पर जो बोलती मेरी गीता
हम सब देदो जान साथी आतंकवाद मिटाने में
वीत गया बहुमूल्य समय धुप -अगरबत्ती जलाने में
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