गाँधी जी का देश
धरे जरा का भेष
चलरहा लकुटिया टेक
गाँधी जी का देश
जाना चाहता पश्चमी देश
अपनाने बोलचाल और भेष
मॉर्निंग इवनिंग का उपदेश
गाँधी जी का देश
बनाना चाहता अमेरिका ,जापान
क्रिकेट खेल में देते ध्यान
पहनता जेंटिल मैन का ड्रेश
गाँधी जी का देश
कामचोर नशे में शराबोर
यह तेरा नहीं है मेरा
अपने को मानता लंकेश
गाँधी जी का देश
गॉव का अनपढ़ बेबकूफ
आपस में लड़ते रहते खुब
करने जाते कचहरी में केश
गाँधीजी का देश
कितने बदल गए मंत्रिमंडल
सब के सब लूट रहे हैं धनसंपत
लगता देश को रहे हैं बेच
गाँधी जी का देश
पढ़ने जाते सातसमुद्रा पार
अपनाते पश्चमी आचार व्यवहार
कोई न बचा है नेक
गाँधी जी का देश
हो गया हिंदी बोलना अपमान
अंग्रेजी में समझते शान
कहलाते ज्ञानेश
गाँधी जी का देश
पीते पानबीडी ,सिगरेट
करते रहते दिन भर ऐश
पहनते कपड़ा सफ़ेद
गाँधी जी का देश
लूट मार नर संहार
आपस में घट रहा प्यार
हृदय हृदय में बढ़ रहा क्लेश
गाँधी जी का देश
स्वदेशी फैक्ट्रियां हो रही बंद
विदेशी फैक्ट्रियोंका का शुभारम्भ
करगया यहाँ कूटनीति प्रवेश
गाँधी जी का देश
है विश्व शांति का अग्रदूत
सरकारें होती नित पदच्युत
सम्भालो इसदेश को अखिलेश
गाँधी जी का देश
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