इतिहास चुप है
सर्वनाश रूप है
वर्तमान कवि हूँ
भूत का छवी छवि हूँ
हृदय में आग है
कुछ कहने की चाह है
इतिहास चुप है
सर्वनाश रूप है
बुद्ध ,अशोक ,चन्द्रगुप्त
धरा थी अहिंसा से मुक्त
कुम्भ पाप का टुटा
मां ,बहनों का किस्मत फूटा
इतिहास चुप है
सर्वनाश रूप है
बिहार की पावन भूमि
खेल रही खून की होली
कहीं चमकती तलवारें
कहीं चलती गोली
इतिहास चुप है
सर्वनाश रूप है
ढीला है शासन तंत्र
भूल गये एकता का मंत्र
रच रहे सर्वत्र षड़यंत्र
मनो आया तैमूर लंग
इतिहास चुप है
सर्वनाश रूप है
राम आये थे गया में
पितरों का करने पिंड दान
थी पुरातन युग में गया
मोक्ष प्राप्ति का स्थान
इतिहास चुप है
सर्वनाश रूप है
सदा के लिए मिट गया
महिमा गया का उठ गया धरा से
करुणा दया का
इतिहास चुप है
सर्वनाश रूप है
तुम चले गये
हो गया छाया धूमिल
मिली थी अहिंसा विरासत में
अत्याचारी कर लिए हिरासत में
इतिहास चुप है
सर्वनाश रूप है
जीने का न इनका ढंग
रह न सकते भाई के संग
पत्नी रहती पति से तंग
लड़ न सकते गरीबी से जंग
इतिहास चुप है
सर्वनाश रूप है
शिष्य तुम्हारा अशोक
कलिंग युद्ध पर करके शोक
बन गए अहिंसा अनुयायी
अत्याचारी पर काबू पाई
इतिहास चुप है
सर्वनाश रूप है
अत्याचारी तेरा होगा
क्रूर कल से दमन
खिलेगी इस धरती पर एकदिन
प्यार प्रेम का सुमन
इतिहास चुप है
सर्वनाश रूप है
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