माँ तू जा रही हो


माँ तू जा रही हो
मुझे इस जहाँ मे लाकर
 कितना खुश हुई थी
अपने कोख में पाकर
फुले नहीं समाई  
 कह सहारा मिल गया
खुदा को मंजूर नहीं 

तेरी सोच में बिघ्न पड़ गया 
मां तू जा रही हो 
हमें इस जहाँ में लाकर 
मां जब तेरे कोख से गोद में आया 
ग्राम समाज परिजन कितना हर्षाया 
मां ठेस मुझे लगता दर्द तुझे होता 
खुद भूखी रह मुझे खिलाया 
हर कोशिश कर मां का फर्ज निभाया 
मां अंगूली पकड़ स्कूल का राह दिखाया 
कितनी दौड़ती कितनी भागती हो हैरान 
मां तू जा रही हो हमें इस जहाँ में लाकर 
मां समय के थपेड़े ने 
कालचक्र में घसीटकर 
तूझे बना दिया मिट्टी सा ढेर 
जिसे हम कहते समय का फेर 


अब इस रूठे को कौन मनाएगा 
इस भूखे को कौन खिलायेगा 
मां मुझे मालूम होता 
तुम मुझे जहँ में छोड़ जाओगी 
शायद मैं नहीं आने का ढूंढता बहाना 
मां मैं तुमसे  स्नेह पा 
बदले में तुझे कुछ नहीं दे पाया 
बाकी है मुझे चुकाना दूध का कर्ज 
मां की ममता ,स्नेह का फर्ज 
 मां तू जा रही हो 
हमें इस जहाँ में लाकर 
मां अगले जन्म भी पुत्र रहूँ तुम्हारा 
करो मुझसे वादा 
मां मै नहीं देखा तुमसा ममतामयी मां 
मां मुझमें ताकत नहीं 
तुझे जहाँ में रोक सकूँ 
अगर मुझमें ताकत होता
 तो विधि के विधान को रोक देता 
मां तू जा रही हो 
हमें इस जहाँ में लाकर  ,रुलाकर 
कौंन तुम्हारा लेगा दर्जा 
कैसे उतार सकेगा कर्जा 
यह एक कठिन सवाल है 
यही मुझे मलाल है 
मां तुम जा रही हो 
हमें इस जहाँ में लाकर ,रुलाकर इस वहती जीवन धारा मे
किनारा मिल गया
मुझे यकिन नहीं होता
तुम मुझे छोड़ जाओगी
मेरे पास वो शक्ति नहीं
नहीं तो , विधि के विधान
रोक देता बदल देता
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