जिस देश में होता ,
निज भाषा का अपमान,
वो देश कैसे बन सकता महान।
सिसक रही भाषा हिंदी कोने में ,
भलाई है इसे विकसित होने में
पूर्वज मानचुके ताकतवर भाषा ,
आजादी की छुपी थी इसमें आशा।
एम पी उ पी बिहार दिल्ली ,
शेष जगह हिंदी की वली।
पाषाण युगीन देवनागरी लिपि ,
राष्ट्रीय एकता हिंदी में छुपी।
जन का आहार है ,
राष्ट्र का आधार है
अम्बर की ऊंचाई ,
अनिल सी स्वच्छंदता ,
अनेकता में एकता ,
राष्ट्र का रक्षा कवच ,
दुश्मन सीख सकता सवक ,
हर उलझन सुलझ सकता ,
मुश्किलें हो सकता आसान ,
हिंदी को मिले सम्मान ,
देश का हो सकता नव निर्माण।
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