कहो किसे न होगा,
निज देश पे नाज
जिसके सर पर शोभता,
गिरिराज हिमालय का ताज
कोशिशें जुटा रहा,
समस्त विश्व में शांति का
  शमन करना चाहता 
सम्पूर्ण विश्व में क्रांति का 
मंदिरों में पूजा होती 
मस्जिदों में नमाज 
अलग अलग धर्म यहाँ 
पर एक जुट  है समाज 
कश्मीर से कन्याकुमारी 
कच्छ से कामरूप 
लम्बे चौड़े क्षेत्र में फैला 
वृहद् भारत का स्वरूप 
सर्वशिक्षा का यहाँ 
चल  रहा अभियान 
गरीबी उन्मूलन पर 
सरकार दे रही ध्यान 
मिले सबको अन्न 
मिले सबको आवास 
हर घर में उपलब्ध हो 
विदयुत का प्रकाश 
नदियों को जोड़ा जायेगा 
सडकों का बिछेगा जाल 
 एक से बढ़कर एक 
बनरही योजना विशाल 
भुखमरी दूर भागेगा 
न पड़ेगा कभी आजकल 
देश के हर नागरिक को 
रखना होगा इसका ख्याल 
इक्कीसवी सदी का भारत 
स्वस्थ ,भारत 
भारत ,भारत ,भारत