मैं हूँ एकनिर्भीक जवान ,
अपनी यूनिट की जान।
कहलाता हूँ यूनिट की शान ,
अनुशाशन है मेरी पहचान।
मुझमें भरा कूट कूट कर जोश।,
कभी न करता काम खोकर होश।
अनुशाशन मेरी पहली सीढ़ी है ,
इसपर चल रही सारी पीढ़ी है।
सेवा हमारा परम भाव है ,
पर्वतवासियों से मित्र भाव है।
चहुँ ओर आतंक का प्रभाव है।
आतंक मिटाना मेरा कर्तव्य भाव है।
मुझमें आगे बढ़ने की अदम्य उत्साह ,
काम करता बढ़ चढ़ कर न होता हतोत्साह।
दुश्मन का समूल नष्ट कर मातम फैलता ,
खुशियाली में जीत का तिरंगा लहराता।
वावन साल का मेरा गौरवमय इतिहास ,
कभी न होने दिया हास परिहास।
कर्तव्य को किया पुरा रह उपवास।
मेरी अभिलाषा है गगन को चूमना ,
जंग में दुश्मनों के साथ जूझना।
स्वच्छंदहवा की तरह घूमना ,
नदियों ,की भांति गिरना उठाना और आगे बढ़ना।
ईमानदारी की होती घर घर पूजा
मानो ईमान से बड़ा न कोई दूजा।
मुझे देश और यूनिट पर है नाज
अपनी यूनिट का हूँ एक ताज।
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