दुःखियारी



सड़क हो या आगार
सफर हो या बाजार
हो रहा हमारा बलात्कार
इन जुल्मियों  आगे
कानून भी हार गया
सड़क से संसद तक
गूँज रही है हमारी पुकार
 हर पल नाबालिकों का
हो रहा बलात्कार
आखिर कौन सुनेगा
हरजगह चर्चा हमारी
समाज से   कहती दुखियारी
नेता ,शिक्षक ,या मंदिर पुजारी
सभी बने बलात्कारी
जुल्म ये रुकेगा नहीं
दुःख हमारा कोई सुनेगा नहीं
जिससे सुनाता अपना दुःख
वही भोगना चाहता दैहिक सुख
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