स्वार्थी मानव



मानव जब अपनी मां  के गर्भ में था तब बहुत तकलीफ में था। वह ईश्वर से प्रार्थना किया  कि  हे प्रभु  आप मुझे इस दुःख से उबार दें ,तब प्रभु ने एक करार कराया कि  तुम जब दुनियाँ में जाना लेकिन हमारी दी हुई प्राकृतिक उपादानों को बर्बाद नहीं करोगे ,मानव ने इस करार को स्वीकारा। जब मानव मां  के गर्व से बहार आया सांसारिकता के भोग बिलाष  में पड़कर  ईश्वर द्वारा दी हुई प्राकृतिक उपादानों को बर्बाद करने लगा तब ईश्वर ने कहा की तुम मुझे हमारे द्वारा दी हुई उपादानों को सुरक्षित वापिस लौटादो। तुम पागल हो गए हो,तुम अंधे  गए हो ,तुम सही रस्ते पर चलने की कसम  खाया था ,तुम भूल गए हो तुम स्वार्थी हो गए हो ,तुम हमारे द्वारा दी हुई बिरासत को वापिस लौटादो।  स्वार्थी होने के नाते वन काट रहे हो,ग्लेसिअर पिघला  रहे हो,प्रदुषण के द्वारा बायुमण्डल को दुषित कर रहे हो,जल को दुषित  कर रहे हो ,नदियों का बहाव रोक रहे हो,अपार जल राशि का भण्डारण बना रहे  हो , आणविक परिक्षण कर गलत प्रयोग कर रहे हो। अपनी  पीढ़ी के लिए धन इक्कठा करना कोई तुम से सीखे ,गज़नी ,गोरी और सिकंदर के इतिहास से तुम सबक क्यों नहीं लेते। इनको क्या  मिला मुट्ठी भर अफ़सोस, चाहिए तो इन्हें role model माने। मानव अपनी सभ्यता विकाश के साथ साथ अपनी लाइफ को छोटा बनाते चला जा रहा है साम्राज्यवाद ,आतंकवाद,भ्रष्टाचार इसी मानव समाज के जहरीले विषाणु है जो समाज को खोखला बनाते चले जा रहे है। जब से मानव अपनी पीढ़ी के लिए धन संग्रह करना सीखा तब से उनकी जिजीविषा समाप्त होते जा रही है। प्रकृति के साथ छेड़ छाड़ करना अपनी जिंदगी के साथ खिलवाड़ करना है।
1945 का अमेरिका द्वारा परमाणु परिक्षण , 1974 का महाराष्ट्र का कोयना नदी का डैम ,1984 का भोपाल गैस त्रासदी इसका ज्वलंत उदहारण है। अपनी निजी स्वार्थ के लिए मानव संसार के सभी जीवों को खतरों में डाल दिया है। ग्लोवल वार्मिंग ,डेफोरेस्ट्रेशन ,वाटर पोल्लुशन ,एयर पोल्लुशन ,इन कारणों  से संसार के सरे जीवों का जान खतरों में है। ये स्वार्थी एक दिन सरे जीवों को अपने स्वार्थ के कारण समाप्त करेगा।



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